हिमंत बिस्वा सरमा ने असम के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल ली है। गुवाहाटी में हुए समारोह में राज्यपाल जगदीश मुखी ने हिमंत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। रविवार को सरमा को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था। सरमा को आगे करने के साथ ही बीजेपी की नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) के संयोजक के रूप में हिमंत बिस्वा सरमा ने पूर्वोत्तर के इलाके में कई गैर कांग्रेसी सरकारों को बनवाने में अहम भूमिका निभाई है। तो क्या हिमंत के सहारे पूरे नॉर्थ ईस्ट पर बीजेपी की नजर है, आइए जानते हैं…
‘राजनीति की जरूरत हैं सरमा’
एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने हमारे सहयोगी इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘सरमा इस वक्त की राजनीति की जरूरत है। हालांकि सर्बानंद सोनावाल ने अच्छा काम किया और उनके नेतृत्व में पार्टी की सत्ता बरकरार रही। लेकिन सरमा को 2016 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत और 2019 में पूरे नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी के अभियान का नेतृत्व करने का इनाम मिला है। लोकसभा के चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को पूर्वोत्तर में सबसे ज्यादा सांसद मिले थे।’
सरमा के सहारे पूर्वोत्तर में पकड़ बनाए रखने की उम्मीद
बीजेपी नेता कहते हैं, ‘पूरे इलाके में एनडीए को सत्ता दिलाने में सरमा का बड़ा योगदान है। उनको मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी पूर्वोत्तर में अपनी पकड़ बरकरार रखने की उम्मीद कर रही है। इसके साथ ही पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच उनकी काफी प्रतिष्ठा है।’ बीजेपी नेता के मुताबिक प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष रंजीत कुमार दास को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। वह केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री रामेश्वर तेली की वह जगह ले सकते हैं।
बंगाल में झटके के बाद असम-पूर्वोत्तर बीजेपी के लिए जरूरी
2016 में मुख्यमंत्री बनने से पहले सोनोवाल केंद्र सरकार में स्किल डेवलपमेंट राज्य मंत्री थे। इसके अलावा उनके पास खेल और युवा कल्याण मंत्रालय का प्रभार था। बीजेपी नेता ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘पार्टी आलाकमान को पता था कि राज्य में जीते बीजेपी के 60 विधायकों में से 42 हिमंत के समर्थन में हैं। विधायकों के एक समूह ने खुलकर उनका समर्थन करते हुए बीजेपी नेतृत्व को खत भी लिखा था। पार्टी असम में स्थिरता बनाए रखना चाहती थी और असंतोष का खतरा उठाने की कोई वजह नहीं थी। पश्चिम बंगाल में पार्टी को पहले ही झटका लगा है और असम को बरकरार रखने से बीजेपी पूर्वोत्तर भारत में अपनी पकड़ सुनिश्चित रखना चाहेगी।’ हाल के सालों में राज्य के मुख्यमंत्री ऊपरी असम के इलाके से आते रहे हैं लेकिन सरमा पश्चिमी असम से ताल्लुक रखते हैं।